...वह बुरा दिन जब सचिन ने क्रिकेट छोड़ने का बना लिया था मन
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...वह बुरा दिन जब सचिन ने क्रिकेट छोड़ने का
बना लिया था मन
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दुनिया के सबसे बेहतरीन क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने बल्लेबाज के रूप में जो रिकॉर्ड कायम किए शायद ही उसे कोई तोड़ पाए. सचिन ने अपने करियर में ढेरों रिकार्ड बनाये और कई उपलब्धियां हासिल की लेकिन एक चीज वे चाहकर भी हासिल नहीं कर पाए.
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यह चीज कुछ और नहीं बल्कि कप्तान के रूप में भी भारत के लिए अच्छा करने का सपना था. तेंदुलकर ने सबसे ज्यादा 200 टेस्ट मैच खेलने के रिकॉर्ड के साथ-साथ टेस्ट में सबसे ज्यादा 15,921 रन बनाने का रिकॉर्ड भी बनाया है. सिर्फ टेस्ट नहीं एक-दिवसीय मैचों में भी सचिन ने सबसे ज्यादा 18,426 रन बनाए, सबसे ज्यादा 49 शतक और 96 अर्द्धशतक भी उन्हीं के नाम हैं. हालांकि कप्तान के रूप में उनका रेकॉर्ड शानदार नहीं रहा है.
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तेंदुलकर को अपने 24 साल के चमकदार कैरियर के दौरान दो बार भारतीय टीम की कप्तानी सौंपी गयी लेकिन वह इसमें खास सफल नहीं रहे. एक समय ऐसा भी आया जब उन्होंने कप्तानी ही नहीं क्रिकेट छोड़ने का मन बना लिया था.
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सचिन पहली बार 1996 में कप्तान बने लेकिन टीम के खराब प्रदर्शन के कारण उन्हें 1997 में इस पद से हटा दिया गया.
उन्होंने अपनी आत्मकथा 'प्लेइंग इट माय वे' में इस बात का जिक्र किया है
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सचिन के नेतृत्व में 31 मार्च 1997 में बारबाडोस टेस्ट में भारत को करारी हार का सामना करना पड़ा था.
बारबाडोस टेस्ट जीत के लिए 120 रन बनाने थे. सचिन की कप्तानी में यह जीत बेहद आसान लग रही थी
हालांकि 120 रन के टारगेट का पीछा करते हुए टीम इंडिया महज 81 रन पर ढेर हो गई थी
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सचिन ने किताब में खुलासा किया कि हार के बाद मैंने खुद को दो दिन तक होटल के कमरे में बंद कर लिया था
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सचिन के अनुसार कप्तान के रूप में मैं टीम के लगातार खराब प्रदर्शन के लिए खुद को जिम्मेदार मानता था. नजदीकी मुकाबले हारने से मैं हताश था
सचिन ने आगे लिखा है कि इससे भी अधिक चिंता की बात यह थी कि मुझे नहीं पता था कि इससे कैसे उबरा जाए. जबकि मैं अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन पहले से ही कर रहा था
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यही नहीं सचिन ने लिखा है कि इस हार के बाद उन्होंने क्रिकेट को अलविदा कहने का मन बना लिया था
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हालांकि सचिन की ही कप्तानी में भारत ने साउथ अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया को हराते हुए टाइटन कप जीता था
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सचिन की कप्तानी में भारत ने 73 मैच खेलते हुए सिर्फ 23 मैच जीत हासिल की जबकि 43 मैचों में हार हुई थी, एक मैच टाई हुआ था और छह मैचों में कोई नतीजा नहीं आया था. इस तरह सचिन की कप्तानी में भारत की जीत का प्रतिशत 35.07 है जो बहुत कम
है
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